कोरोना वायरस को लेकर एक के बाद एक नई नई रिसर्च सामने आ रही है। लेकिन इस बार जो बात सामने आई है वह बहुत ही डरा देने वाली है। दुनियाभर के 200 से ज्यादा वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है कि कोरोना वायरस के कण हवा में भी मौजूद हैं(Coronavirus Airborne) । इस बाबत इन वैज्ञानिकों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को पत्र भी लिखा है, जिसमे उन्होने कोविड19 वायरस के हवा में रहने का दावा किया है। इन पत्रों को देखने बाद इस मामले की समीक्षा करने की बात कही है।
हाल ही में अमेरिकी अखबार न्यू यॉर्क टाइम्स ने वैज्ञानिकों का हवाला देते हुए यह बात प्रकाशित की थी कि कोरोना से बचने के लिए लोगों को घर में भी एन-95 मास्क पहनने की जरूरत है। अपने इसी लेख में उन्होने यह भी लिखा है कि बहुत से वैज्ञानिक WHO से यह आग्रह कर चुके हैं कि वह अपनी गाइड लाइन में बदलाव करे।
Doctors Said Corona virus spread through Air (Coronavirus Airborne)
वैज्ञानिकों के इन पत्रों पर और आग्रह पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी सफाई तर्क रखा है तो दूसरी तरफ वैज्ञानिकों ने डब्ल्यूएचओ के नज़रिए को निराशाजनक बताया है।

क्या सच में हवा में कोरोना फैल सकता है>> इस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रवक्ता तारिक जेसरेविक ने कहा कि हमे मिले पत्रों की रिपोर्ट से वाक़िफ़ हैं। टेक्निकल एक्सपटर्स के साथ रिव्यू कर रहे हैं। उन्होने आगे कहा कि हवा में मौजूद कणों से कोरोना वायरस कितनी तेजी से फैलता है यह अब तक स्पष्ट नहीं हुआ है (Coronavirus Airborne) । हम संक्रमण के रास्ते यानी एयरोसॉल रूट को समझने की कोशिश कर रहे हैं। अभी हम आश्वस्त नहीं है कि गाइड लाइन में बदलाव होना चाहिए।
कब कब हवा के जरिए फैलता है कोरोना>>>इस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जवाब में कहा कि कुछ खास स्थितियों में ही ऐसा होता है। जैसे मरीज को ऑक्सीजन के लिए ट्यूब लगाते समय यह फैल सकता है। आपको बता दे कि डब्ल्यूएचओ ने इस बाबत पहले ही 29 जून को गाइडलाइन्स जारी कर दी थी। जिसमें कहा गया था कि कोरोना नाक और मुंह से निकले ड्रॉपलेट के जरिए भी फैल सकता है। सतह पर मौजूद वायरस से भी संक्रमित होने का खतरा है। इसलिए स्वास्थ्य कर्मियों से ऑक्सीजन ट्यूब एवं वेंटिलेटर लगाते समय सभी जरूरी सावधानी बरती जाए, ऐसे समय में एन-95 मास्क जरूर लगाएं।
हवा में कोरोना वायरस ड्रॉप्लेट्स
कोरोना वायरस को लेकर एक के बाद एक नई नई रिसर्च सामने आ रही है। लेकिन इस बार जो बात सामने आई है वह बहुत ही डरा देने वाली है। दुनियाभर के 200 से ज्यादा वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है कि कोरोना वायरस के कण हवा में भी मौजूद हैं(Coronavirus Airborne) । इस बाबत इन वैज्ञानिकों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को पत्र भी लिखा है, जिसमे उन्होने कोविड19 वायरस के हवा में रहने का दावा किया है। इन पत्रों को देखने बाद इस मामले की समीक्षा करने की बात कही है।
हाल ही में अमेरिकी अखबार न्यू यॉर्क टाइम्स ने वैज्ञानिकों का हवाला देते हुए यह बात प्रकाशित की थी कि कोरोना से बचने के लिए लोगों को घर में भी एन-95 मास्क पहनने की जरूरत है। अपने इसी लेख में उन्होने यह भी लिखा है कि बहुत से वैज्ञानिक WHO से यह आग्रह कर चुके हैं कि वह अपनी गाइड लाइन में बदलाव करे।
Doctors Said Corona virus spread through Air (Coronavirus Airborne)
वैज्ञानिकों के इन पत्रों पर और आग्रह पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी सफाई तर्क रखा है तो दूसरी तरफ वैज्ञानिकों ने डब्ल्यूएचओ के नज़रिए को निराशाजनक बताया है।
क्या सच में हवा में कोरोना फैल सकता है>> इस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रवक्ता तारिक जेसरेविक ने कहा कि हमे मिले पत्रों की रिपोर्ट से वाक़िफ़ हैं। टेक्निकल एक्सपटर्स के साथ रिव्यू कर रहे हैं। उन्होने आगे कहा कि हवा में मौजूद कणों से कोरोना वायरस कितनी तेजी से फैलता है यह अब तक स्पष्ट नहीं हुआ है (Coronavirus Airborne) । हम संक्रमण के रास्ते यानी एयरोसॉल रूट को समझने की कोशिश कर रहे हैं। अभी हम आश्वस्त नहीं है कि गाइड लाइन में बदलाव होना चाहिए।
कब कब हवा के जरिए फैलता है कोरोना>>>इस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जवाब में कहा कि कुछ खास स्थितियों में ही ऐसा होता है। जैसे मरीज को ऑक्सीजन के लिए ट्यूब लगाते समय यह फैल सकता है। आपको बता दे कि डब्ल्यूएचओ ने इस बाबत पहले ही 29 जून को गाइडलाइन्स जारी कर दी थी। जिसमें कहा गया था कि कोरोना नाक और मुंह से निकले ड्रॉपलेट के जरिए भी फैल सकता है। सतह पर मौजूद वायरस से भी संक्रमित होने का खतरा है। इसलिए स्वास्थ्य कर्मियों से ऑक्सीजन ट्यूब एवं वेंटिलेटर लगाते समय सभी जरूरी सावधानी बरती जाए, ऐसे समय में एन-95 मास्क जरूर लगाएं।
हवा में कोरोना वायरस ड्रॉप्लेट्स
- वंही दूसरी तरफ मिनसोटा यूनिवर्सिटी के संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर माइकल ऑस्टहोल्म के मुताबिक, आंकड़े सामने होने के बावजूद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इंफ्लुएंजा वायरस की हवा में मौजूदगी को समझने की कोशिश नहीं की। इस समय हो रही बहस का यह हिस्सा है। डॉक्टर माइकल के मुताबिक डब्ल्यूएचओ की निराशा का स्तर चरम पर पंहुच गया है।
- कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल के संक्रामक रोग सलाहकार प्रोफेसर बाबक जाविद की माने तो हवा में मौजूद ड्रॉप्लैट्स के जरिए लोगो कोरोना संक्रमित हो सकते हैं। लेकिन अभी इस बात की पुष्टि नहीं हुई है, जिससे यह पता चले की यह वायरस कितनी देर हवा में जीवित रह सकता है।
- हावर्ड स्कूल के महामारी विशेषण डॉक्टर विलियम हेनेज का कहना है कि डब्ल्यूएचओ हवा में कोरोना संक्रमण फैलने के हर पॉइंट की जांच कर रहा है, लेकिन अगर यह सच है कि यह वायरस हवा के जरिए भी फैलता है तो स्थिति और भी खतरनाक हो जाएगी। ऐसे हालातों में इसका असर अधिक लोगो पर पड़ सकता है।