हमारे देश के महाराष्ट्र राज्य के सोलापुर जिले में श्री विठ्ठल रुक्मणी जी मंदिर पंढरपुर नाम के स्थान पर स्थित है जो कि अति प्रसिद्ध मंदिर है। संत तुकाराम जी के अनुसार श्री विट्ठल भगवान ब्रह्मा, शिव और विष्णु तीनों का स्वरूप है। श्री विट्ठल रुक्मिणी मंदिर में दर्शन हेतु ऑनलाइन बुकिंग की व्यवस्था उपलब्ध है। Pundarpur Darshan Online Ticket या पंढरपुर दर्शन पास आप मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से प्राप्त कर सकते है।

Pundarpur Darshan के लिए करें Online Booking

पंढरपुर चंद्रभागा नदी के किनारे बसा हुआ है और पुराने समय में यहां आसपास दिंडिर नाम का जंगल हुआ करता था जिसे पुराणों में दिंडिर वन के नाम से संबोधित किया गया है। Pundarpur Vitthal Rukmani Mandir अनेक भक्तों की आस्था का केंद्र है, प्रतिदिन यहां अनेकों भक्त दर्शन के लिए आते है और भगवान विठ्ठल को भक्त श्रद्धा के साथ अलग-अलग नामों से पुकारते हैं जैसे कि पांडुरंग, पंढरीनाथ, विठ्ठल, हरि, विठोबा आदि पर मुख्यतः भगवान के पांडुरंग और श्री विट्ठल नाम प्रसिद्ध है। श्री विठ्ठल को मुख्य रूप से भगवान विष्णु का स्वरूप माना गया है। 

Lord Vitthal Pundarpur Temple में आकर बसने और फिर पांडुरंग या विठल रूप में अपने भक्तों को दर्शन देने के पीछे अलग-अलग मान्यताए प्रचलित हैं। आज हम आपके सामने ऐसी दो मान्यताएं प्रस्तुत कर रहे है।

पहली मान्यता माना जाता है कि द्वापर युग में देव और दानवों के बीच चल रहे युद्ध में देवताओं ने राजा मुचकुंद से देव दल की ओर से युद्ध करने की सहायता मांगी तब राजा मुचकुंद ने दानवों के विरुद्ध युद्ध किया और देवताओं की विजय हुई। देवताओं ने प्रसन्न होकर राजा मुचकुंद से कहा कि आप क्या चाहते हैं, राजा मुचकुंद ने देवताओं से वरदान मांगा कि मुझे मेरी निंद्रा बड़ी प्रिय है। मैं चाहता हूं कि आप इसे सुरक्षित रखने का वरदान दे और जो कोई मेरी निंद्रा भंग करें वह मेरी दृष्टि पड़ते ही भस्म हो जाए। देवताओं ने प्रसन्न होकर राजा मुचकुंद को यह वरदान दिया। 

द्वापर युग में ही भगवान विष्णु ने कृष्ण अवतार लिया, कृष्ण बड़े ही चतुर थे और चतुराई से अपने शत्रुओं का नाश करते थे। भगवान कृष्ण का ऐसा ही एक शत्रु था काल्यवन राक्षस, भगवान जानते थे कि यह दानव बड़ा शक्तिशाली है और उसका वध करना आसान नहीं है। उस समय भगवान कृष्ण ने एक तरकीब अपनाई, वे काल्यवन को अपने पीछे पीछे दिंडिरवन में लेकर आए।  दिंडिर वन की गुफा में राजा मुचकुंद निंद्रा में आराम कर रहे थे, भगवान कृष्ण उनके वरदान के बारे में जानते थे भगवान कृष्ण काल्यवन राक्षस को उस गुफा के अंदर ले गए और गुफा में जाकर छुप गए। राक्षस ने जब गुफा में प्रवेश किया तो राजा मुचकुंद को कृष्ण समझ कर उनकी निंद्रा भंग कर दी, राजा मुचकुंद ने जैसे ही अपनी आंखें खोली और काल्यवन पर दृष्टि डाली वह भस्म हो गया। तब भगवान कृष्ण ने राजा मुचकुंद को पूरी कहानी सुनाई और उन्हें वरदान दिया कि अगले जन्म में तुम मेरे भक्त पुंडलिक के रूप में जन्म लोगे। लोगों की मान्यता है कि भगवान विष्णु पांडुरंग के रूप में अपने भक्त पुंडलिक से मिलने पंढरपुर पधारें और फिर यहां भक्तों को पांडुरंग स्वरूप में दर्शन दिए।

दूसरी मान्यता यह भी है कि एक बार भगवान कृष्ण की पत्नी रुक्मणी उनसे रूठ गई और रूठ कर घूमते घूमते दिंडिर वन आ पहुँची, भगवान कृष्ण भी अपनी पत्नी रुक्मणी को ढूंढते ढूंढते यहाँ आ गए और उन्होंने यहाँ रुकमणी जी को देखा और तब से वे दोनों पंढरपुर में ही विराजमान हो गए।

Online Pundarpur Darshan Booking

श्री विट्ठल रुक्मिणी मंदिर में दर्शन हेतु ऑनलाइन बुकिंग की व्यवस्था उपलब्ध है।

पंढरपुर दर्शन ऑनलाइन टिकट या Pundarpur Darshan Online Pass आप मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से प्राप्त कर सकते है।

पंढरपुर आनलाइन दर्शन बुकिंग की प्रक्रिया 

  • पहले मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं या लिंक पर क्लिक करें
  • https://www.vitthalrukminimandir.org/english/home.html
  • अब नीचे जाकर दिए गए पंढरपुर आनलाइन दर्शन पास बुकिंग ऑप्शन पर क्लिक करें।
पंढरपुर दर्शन ऑनलाइन टिकट
  • अगले पृष्ठ पर टिकट बुकिंग ऑप्शन का चयन करें
Pundarpur Darshan Online Pass

अब अगले पृष्ठ पर अपनी सभी जानकारियां दर्ज कर बुक टिकट ऑप्शन पर क्लिक करें।

Pundarpur Vitthal Rukmani Mandir
  • इस प्रकार आप ऑनलाइन दर्शन हेतु टिकट बुक कर सकते है।
  • बुकिंग के बाद आप अपनी टिकट का प्रिंट भी ले सकते हैं।

सामान्यत:पूछे जाने वाले प्रश्न :

1)पंढरपुर मंदिर दर्शन का समय क्या है?

उ- सुबह 6:00 बजे से लेकर रात्रि 11:00 बजे तक मंदिर के दर्शन खुले रहते हैं बीच का कुछ समय मंदिर पट बंद रहते है।

2)श्री विट्ठल रुक्मिणी मंदिर कहां स्थित है?

उ- श्री विट्ठल रुक्मणी जी मंदिर महाराष्ट्र राज्य के सोलापुर जिले के पंढरपुर में स्थिति है।

3)क्या दर्शन के लिए ऑनलाइन दर्शन पास बुक कर सकते है?

उ- हां मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट या मोबाइल ऐप के माध्यम से आप दर्शन पास बुक कर सकते है।